स्मृति शेष: ऐसे ही नहीं फील्ड मार्शल कहलाते थे दिवाकर भट्ट...तब देखते ही गोली मारने का था आदेश

राज्य आंदोलनकारी पौड़ी डीएम ऑफिस के पास आमरण अनशन पर थे। उस दौरान पुलिस व प्रशासन की और से दिवाकर भट्ट को देखते ही गोली मारने का मौखिक आदेश हुआ।
दिवाकर भट्ट को ऐसे ही फील्ड मार्शल नहीं कहा गया, वह अलग राज्य आंदोलन हो या फिर जन सरोकरों से जुड़े मुद्दे इन सबके लिए लड़ने भिड़ने वालों में से थे। पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत बताते हैं कि 1994 में दिवाकर भट्ट को देखते ही गोली मारने का आदेश हुआ, रावत के मुताबिक तब उन्होंने पुलिस से छिपाकर मोटरसाइकिल से उन्हें बुआखाल से आगे चौफिन के घर छोड़ा था।
पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत बताते हैं कि राज्य आंदोलनकारी पौड़ी डीएम ऑफिस के पास आमरण अनशन पर थे। इंद्रमणि बडोनी के साथ ही दिवाकर भट्ट व काशी सिंह ऐरी सहित कई लोगों को अनशन स्थल से हटाने के लिए सात अगस्त 1994 की रात पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठियां बरसाई। हंगामे के दौरान कुछ आंदोलनकारी छात्रों ने पुलिस अधीक्षक की जिप्पी फूंक दी।

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